कपास की खेती भारत में एक प्रमुख नकदी फसल है, जो विशेष रूप से कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल प्रदान करती है। इसकी खेती सफलतापूर्वक करने के लिए सही समय, जलवायु, मिट्टी, और तकनीकी ज्ञान होना आवश्यक है।कपास (Gossypium spp.) एक रेशा देने वाली महत्वपूर्ण नकदी फसल है, जिससे कपड़ा, तेल और पशु आहार जैसे उप-उत्पाद बनाए जाते हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है और इसका बहुत बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश व राजस्थान जैसे राज्यों में उगाया जाता है।
खेती कब ओर कैसे | |
कोन कोन से बीज लगाने चाइए | |
नमबर एक: | रासी, आरसी एच, 926 बेराइटी। |
रासी की ही एक और किसम आती है, | 776। |
निचू बिडू सीट्स की राजा बेराइटी। | सांथी रासी की 659। |
यूएस एग्री सीट्स की यूएस 51 के नाम से बेराइटी आती है। | |
किसमों को आप लगा सकते हैं। बागी आपके एरिया पर और भी बेस्ट परफॉमेंस देने वाली किसम और आपने कितनी तक पैदवार निकाली है यह भी कॉमेंट्स में जरूर जानकारी साज़ा करें ताकि अन्य किसानों के भी मदद हो सके। भूमी और खेद की तयारी की बात करते हैं। सबसे पहले जो भूमी है इसकी तयारी बहुत बढ़िया तरीके से करना है। नमबर एक: उत्तम जलनकास का प्रबंद होना चाहिए। अच्छे से बेट तयार करना है और जो भूमी है दोमट भूमी, रेतीली दोमट, बालूई दोमट के सांथ जो दोमट भूमी होती है कपास के लिए सबसे बेस्ट मानी जाती है। बागी हैवी और हलकी सॉयल हर एक प्रकार की सॉयल पर कपास की खेती की जा सकती है लेकिन काली मिट्टी, काली दोमट भूमी पर कॉटन की पैदवार काफी अच्छी निकलती है। तो बढ़िया तरीके से आपको एक से दो बार कल्टीवेटर्स हैं खेद की तयारी कराना है। मिट्टी को अच्छे से भुरभुरी कराना है। बेट कुछ इस प्रकार जो आप वीडियो पर देख रहे हैं इस प्रकार आपको बेट तयार कर लेना। यह हमारा कपास का फार्म एकडम तयार हो चुका है। | |
सल डोज में कौन कौन सी खादों का इस्तिमाल करना चाहिए। | |
तीन से चार ट्राली गोबर की खाद यूज़ करना है, डियापी एक बैग, सस्पी एक बैग, एम ओपी कम से कम 20-25 किलो ग्राम और रीजन्ट अल्ट्रा कम से कम 3 किलो ग्राम। इनको अच्छे तरीके से मिक्स करना है और उसके बाद बुआई के समय जब आप बेट तयार कर रहे हैं तो इन खादों का इस्तिमाल करें। इससे नाइट्रूजन, फास्फुरस, पोटेशियम, सलफार, कैल्सियम जैसे तत्तव जिंक, बोरॉन जैसे तत्तव की पूर्ती होने वाली है। तो यह बहुत बढ़िया बाला बेसल डोज है। यदि भूमी बहुत अच्छी है तो गोबर की खाद प्रॉपर रखिए, डियापी, एमोपी और सस्पी का डोज आधा भी कर सकते हैं। यदि बढ़िया उपजाव भूमी है तो बैट की चौड़ाई कितनी रखनी है। तो बैट विधी से ही आपको कपास की खेती करना है। बैट से बैट की दूरी 4.5 फिट के आसपास, बैट की चौड़ाई 2.5 फिट और बैट की उचाई 1 फिट आपको रखना चाहिए। एक एकड में 800-900 ग्राम सीट्स की रिक्वार्मेंट पढ़ने वाली है और कीमत 400 ग्राम सीट्स की कीमत है 700-1000 रुपे की बीच में हमको कीमत देखने के लिए मिलती है। तो अपने एरिया के हिसाब से उन्दत किसम की ही बुआई करनी है और बैट विधी से आप खेती करेंगे तो मिट्टी को चढ़ाने में, सिचाई करने में, खाद देने में और नराय गोडाई करने में काफी आसान ही हो जाती है। जड़ों का विकास बहुत शांदार होता है | |
बीज उपचार आपको जरूर करना है। | |
हाईब्रीड या फिर जो बेस्ट क्वालिटी का सीट्स लाते हैं पहले से उपचार जरूर होता है लेकिन सीट्स को ट्रीटमेंट करने से बहुत अच्छा रिजल्ट मिलता है। UPL कमपनी की एलेक्ट्रॉन या फिर सिजेंटा कमपनी की वाइब्रेंस इंट्रीगल आती है या फिर बी एसेफ कमपनी की जहलोरा फंगसाइट आती है। इन में से कोई भी एक फपून ना सके। बीजों को उपचार करने पर विल्ट की समस्या, सूखनेकी समस्या और जड समबंदित इंसेक्ट और फंगस की समस्या से काफी अच्छा कंट्रोल मिलता है। तो यह तीन चार में से कोई भी एक दवाई से बीजों को उपचार करें स्वास्थ अंकुरन के लिए और जब हमारी फसल 20-30 दिन की हो जाती है तो ट्राइकोडर्मा या फिर गोबर की खाद के साथ ट्राइकोडर्मा मिलाकर के भी प्रियोक करेंगे तो विल्ट के समस्या खतम हो जाती है जिससे हम उखैटा विल्ट उखटा के नाम से जानते हैं। तो बागी जब 20-30 दिन की फसल हो जाए तो ट्राइकोडर्मा 500 ml से लेकर के 1 लिटर सिम्पल सिचाई के साथ आप प्रियोक कर सकते हैं। बढ़िया रिजल्ट मिलेगा। गोबर की खाद के साथ भी ट्राइकोडर्मा मिक्स करके प्रियोक करने से भी विल्ट पर काफी अच्छा कंट्रोल मिलता है। एक चीज और हमने लास्ट यार या फिर लास्ट टू यार से जो अनुभव किसानों से लिया है और एकडम सटीक बिसलेशन निकला है कि विल्ट की समस्यादिय आ रही है तो जो एक फंगिसाइट आती फोजडिल एलुमीनियम यानि बायर कमपनी के एलेट जो फंगिसाइट आती है यह है टू वे फंगिसाइट उपर से नीचे और नीचे से उपर जाने की इस फंगिसाइट में छम्ता होती है। तो इसकी ड्रिंचिंग भी यदी आप करते हैं सिचाई के साथ प्रियोक करते हैं एलेट का डोज लगबख 300 ग्राम से लेकर के 500 ग्राम के बीच में आप एक एकर प्रियोक करेंगे तो विल्ट से बहुत अच्छा कंट्रोल मिलता है। एकड़म एक प्रकार से कह सकते हैं कि कंट्रोल करने में काफी सक्षम है। | |
निष्कर्ष
तो इस प्रकार हमारी किसान भाई कपास की फसल पर खाद सेडूल चला सकते हैं। लाइफ साइकल की बात करते हैं तो कपास की फसल की लाइफ साइकल 150-170 दिन में कपास की फसल तयार हो जाती है। कुछ वैराइटी 130 दिन में तयार हो जाती है तो कुछ वैराइटी 145-155 दिन वहीं कुछ वैराइटी 65 दिन तक का समय लग जाता है। यानि कपास की फसल थोड़ा लंबा समय लेती है। बांकी आप समय के हिसाब से कैसी भूमी है उस हिसाब से वैराइटी का चुणाव कर सकते हैं। वैराइटी में भी समय का फेर बदल रहता है तो अपने हिसाब बेस्ट वैराइटी का चुणाव करना चाहिए।