हिंदी व्याकरण-भाषा(Language) की परिभाषा ,भाषा का उद्देश्य,भाषा के उपयोग

भाषा(Language) की परिभाषा


भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य बोलकर, सुनकर, लिखकर व पढ़कर अपने मन के भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है।
दूसरे शब्दों में- जिसके द्वारा हम अपने भावों को लिखित अथवा कथित रूप से दूसरों को समझा सके और दूसरों के भावो को समझ सके उसे भाषा कहते है।
सरल शब्दों में- सामान्यतः भाषा मनुष्य की सार्थक व्यक्त वाणी को कहते है।
डॉ शयामसुन्दरदास के अनुसार – मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओं के विषय अपनी इच्छा और मति का आदान प्रदान करने के लिए व्यक्त ध्वनि-संकेतो का जो व्यवहार होता है, उसे भाषा कहते है।
डॉ बाबुराम सक्सेना के अनुसार- जिन ध्वनि-चिंहों द्वारा मनुष्य परस्पर विचार-बिनिमय करता है उसको समष्टि रूप से भाषा कहते है।

भाषा के दो रूप
मौखिक भाषा
लिखित भाषा

कई बार हम चौराहे पर लाल बत्ती जलने पर रुक जाते हैं ,अध्यापक के मुँह पर उँगली रखने पर बच्चे शांत हो जाते हैं ,हाथ के संकेत से हम किसी परिचित को आने या जाने का संकेत कर सकते हैं। यह सांकेतिक भाषा का रूप है । इसे भाषा के रूपों में नही गिनते क्योंकि यह जरुरी नहीं कि संकेत कर्ता द्वारा किया गया उद्देश्य ही देखने वाला ग्रहण करे।

भारत की प्रमुख भाषाएँ

भारतीय संविधान में 22 भारतीय भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई हैं ।
ये भाषाएँ हैं- संस्कृत,हिन्दी,सिन्धी,तमिल,तेलुगू,मलयालम,गुजराती,मराठी,पंजाबी,कोंकड़ी,कश्मीरी,उर्दू,उड़िया,
असमिया,कन्नड़,बांग्ला,नेपाली,बोडो,डोगरी,मैथिली,संथाली और मणिपुरी आदि ।

भाषा का उद्देश्य

संप्रेषण या विचारों का आदान-प्रदान।

भाषा के उपयोग

भाषा विचारों के आदान-प्रदान का सर्वाधिक उपयोगी साधन है। परस्पर बातचीत लेकर मानव-समाज की सभी गतिविधियों में भाषा की आवश्यकता पड़ती है। संकेतों से कही गई बात में भ्रांति की संभावना रहती है, किन्तु भाषा के द्वारा हम अपनी बात स्पष्ट तथा निर्भ्रांत रूप में दूसरों तक पहुँचा सकते हैं।
भाषा का लिखित रूप भी कम उपयोगी नहीं। पत्र, पुस्तक, समाचार-पत्र आदि का प्रयोग हम दैनिक जीवन में करते हैं। लिखित रूप में होने से पुस्तकें, दस्तावेज आदि लम्बे समय तक सुरक्षित रह सकते हैं। रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथ तथा ऐतिहासिक शिलालेख आज तक इसलिए सुरक्षित हैं क्योंकि वे भाषा के लिखित रूप में है।

भाषा की प्रकृति

भाषा सागर की तरह सदा चलती-बहती रहती है। भाषा के अपने गुण या स्वभाव को भाषा की प्रकृति कहते हैं। हर भाषा की अपनी प्रकृति, आंतरिक गुण-अवगुण होते है। भाषा एक सामाजिक शक्ति है, जो मनुष्य को प्राप्त होती है। मनुष्य उसे अपने पूवर्जो से सीखता है और उसका विकास करता है।
यह परम्परागत और अर्जित दोनों है। जीवन्त भाषा ‘बहता नीर’ की तरह सदा प्रवाहित होती रहती है। भाषा के दो रूप है- कथित और लिखित। हम इसका प्रयोग कथन के द्वारा, अर्थात बोलकर और लेखन के द्वारा (लिखकर) करते हैं। देश और काल के अनुसार भाषा अनेक रूपों में बँटी है।

भाषा और लिपि

लिपि -शब्द का अर्थ है-‘लीपना’ या ‘पोतना’ विचारो का लीपना अथवा लिखना ही लिपि कहलाता है।
दूसरे शब्दों में- भाषा की उच्चरित/मौखिक ध्वनियों को लिखित रूप में अभिव्यक्त करने के लिए निश्चित किए गए चिह्नों या वर्णों की व्यवस्था को लिपि कहते हैं।
हिंदी और संस्कृत भाषा की लिपि देवनागरी है। अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन पंजाबी भाषा की लिपि गुरुमुखी और उर्दू भाषा की लिपि फारसी है।

नीचे की तालिका में विश्व की कुछ भाषाओं और उनकी लिपियों के नाम दिए जा रहे हैं-

क्रम भाषा लिपियाँ

हिंदी, संस्कृत, मराठी, नेपाली, बोडो : देवनागरी
अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, इटेलियन, पोलिश, मीजो : रोमन
पंजाबी : गुरुमुखी
उर्दू, अरबी, फारसी : फारसी
रूसी, बुल्गेरियन, चेक, रोमानियन : रूसी
बँगला : बँगला
उड़िया : उड़िया
असमिया : असमिया

हिन्दी में लिपि चिह्न

देवनागरी के वर्णो में ग्यारह स्वर और इकतालीस व्यंजन हैं। व्यंजन के साथ स्वर का संयोग होने पर स्वर का जो रूप होता है, उसे मात्रा कहते हैं; जैसे-
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ
ा ि ी ु ू ृ े ै ो ौ
क का कि की कु कू के कै को कौ

देवनागरी लिपि

देवनागरी लिपि एक वैज्ञानिक लिपि है। ‘हिन्दी’ और ‘संस्कृत’ देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं। ‘देवनागरी’ लिपि का विकास ‘ब्राही लिपि’ से हुआ, जिसका सर्वप्रथम प्रयोग गुजरात नरेश जयभट्ट के एक शिलालेख में मिलता है। 8वीं एवं 9वीं सदी में क्रमशः राष्ट्रकूट नरेशों तथा बड़ौदा के ध्रुवराज ने अपने देशों में इसका प्रयोग किया था। महाराष्ट्र में इसे ‘बालबोध’ के नाम से संबोधित किया गया।
विद्वानों का मानना है कि ब्राह्मी लिपि से देवनागरी का विकास सीधे-सीधे नहीं हुआ है, बल्कि यह उत्तर शैली की कुटिल, शारदा और प्राचीन देवनागरी के रूप में होता हुआ वर्तमान देवनागरी लिपि तक पहुँचा है। प्राचीन नागरी के दो रूप विकसित हुए- पश्चिमी तथा पूर्वी।
इन दोनों रूपों से विभिन्न लिपियों का विकास इस प्रकार हुआ-

प्राचीन देवनागरी लिपि:-

पश्चिमी प्राचीन देवनागरी- गुजराती, महाजनी, राजस्थानी, महाराष्ट्री, नागरी

पूर्वी प्राचीन देवनागरी- कैथी, मैथिली, नेवारी, उड़िया, बँगला, असमिया
संक्षेप में ब्राह्मी लिपि से वर्तमान देवनागरी लिपि तक के विकासक्रम को निम्नलिखित आरेख से समझा जा सकता है-
ब्राह्मी:
उत्तरी शैली- गुप्त लिपि, कुटिल लिपि, शारदा लिपि, प्राचीन नागरी लिपि
प्राचीन नागरी लिपि:
पूर्वी नागरी- मैथली, कैथी, नेवारी, बँगला, असमिया आदि।
पश्चिमी नागरी- गुजराती, राजस्थानी, महाराष्ट्री, महाजनी, नागरी या देवनागरी।
दक्षिणी शैली-
देवनागरी लिपि पर तीन भाषाओं का बड़ा महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
(i) फारसी प्रभाव : पहले देवनागरी लिपि में जिह्वामूलीय ध्वनियों को अंकित करने के चिह्न नहीं थे, जो बाद में फारसी से प्रभावित होकर विकसित हुए- क. ख. ग. ज. फ।
(ii) बांग्ला-प्रभाव : गोल-गोल लिखने की परम्परा बांग्ला लिपि के प्रभाव के कारण शुरू हुई।
(iii) रोमन-प्रभाव : इससे प्रभावित हो विभिन्न विराम-चिह्�

हिन्दी भाषा का विकास

राजस्थानी हिन्दी’ का विकास ‘अपभ्रंश’ से हुआ।
‘पश्चिमी हिन्दी’ का विकास ‘शौरसेनी’ से हुआ।
‘पूर्वी हिन्दी’ का विकास ‘अर्द्धमागधी’ से हुआ।
‘बिहारी हिन्दी’ का विकास ‘मागधी’ से हुआ।
‘पहाड़ी हिन्दी’ का विकास ‘खस’ से हुआ।

निष्कर्ष (Conclusion):

भाषा मनुष्य की सबसे बड़ी और विशिष्ट पहचान है। यह केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान का संवाहक भी है। समाज में आपसी संबंध बनाए रखने, विचारों को अभिव्यक्त करने और ज्ञान को आगे बढ़ाने में इसका योगदान अमूल्य है।

1. भाषा किसे कहते हैं?

a) बोलने का तरीका
b) विचारों और भावनाओं के आदान-प्रदान का माध्यम
c) लिखने की शैली
d) केवल पढ़ने का साधन

उत्तर: b) विचारों और भावनाओं के आदान-प्रदान का माध्यम


2. निम्नलिखित में से भाषा का कौन-सा उद्देश्य है?

a) भोजन पकाना
b) कपड़े पहनना
c) विचारों की अभिव्यक्ति
d) चित्र बनाना

उत्तर: c) विचारों की अभिव्यक्ति


3. भाषा के माध्यम से हम क्या कर सकते हैं?

a) गाड़ी चला सकते हैं
b) पौधे उगा सकते हैं
c) संवाद स्थापित कर सकते हैं
d) निर्माण कार्य कर सकते हैं

उत्तर: c) संवाद स्थापित कर सकते हैं


4. निम्नलिखित में से कौन भाषा का एक प्रयोग नहीं है?

a) गीत गाना
b) समाचार पढ़ना
c) संकेत देना
d) खाना बनाना

उत्तर: d) खाना बनाना


5. भाषा का मुख्य कार्य क्या है?

a) मनोरंजन करना
b) पढ़ाई रोकना
c) विचारों का आदान-प्रदान करना
d) चित्र बनाना

उत्तर: c) विचारों का आदान-प्रदान करना

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