प्रतिदिन योग करने के लाभ , प्रतिदिन योग कैसे करें – apni dincharya kaise sudhare karen

apni dincharya kaise sudhare karen : क्रोध, चिंता, तनाव, भय, घबराहट, चिड़चिड़ापन, ईर्ष्या आदि भाव बुढ़ापे को न्यौता देने वाले कारक हैं। हमेशा प्रसन्नचित्त रहने का प्रयास करें। उत्साह, संयम, संतुलन, समता, संतुष्टि व प्रेम का मानसिक भाव हर पल बना रहे।  मन में रोग का भाव बीमारियों में बढ़ोत्तरी ही करता है। स्वास्थ्य का भाव सेहत में वृद्धि करता है इसलिए दिन भर इस भाव में रहें कि मैं स्वस्थ हूं। मन में यह शंका न लाएं कि भविष्य में मुझे कोई रोग होगा।  धूम्रपान, मादक पेय- पदार्थ (जरदा, गुटखा, सॉफ्ट ड्रिंक जैसे कोकाकोला, पेप्सी इत्यादि एवं शराब आदि )) सर्वथा छोड़ दो।

कैल्शियम की कमी को दूर ,मनुष्य की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए

*10 रुपए में कर सकते हैं कैल्शियम की कमी को दूर, दूध से चिढ़ते हैं तो यह जानकारी आपके लिए है* 
1. पानी में अदरक डाल कर उबालें। इस पानी में शहद और हल्का नींबू निचोड़ें। सुबह 20 दिन तक पिएं। कैल्शियम की आपूर्ति होगी।
2. प्रति दिन 2 चम्मच तिल का सेवन करें। आप इसे लड्डू या चिक्की के रूप में भी ले सकते हैं।
3. एक चम्मच जीरे को रात भर पानी में भिगो दें। सुबह इसका सेवन करें। 15 दिन में लाभ दिखेगा।
4. 1 अंजीर व दो बादाम रात में गलाएं और सुबह इसका सेवन करें। शर्तिया फायदा होगा।
5. रागी का हफ्ते में एक बार किसी ना किसी रूप में सेवन करें। दलिया, हलवा या खीर बनाकर ले सकते हैं। किसी भी प्रकार से रागी कैल्शियम का विश्वसनीय स्त्रोत हैं।
6. नींबू पानी दिन भर में एक बार अवश्य लें।
7. अंकुरित अनाज में कैल्शियम प्रचूर मात्रा में होता है। अगर आप अंकुरित आहार नहीं ले सकते हैं तो हफ्ते में एक बार सोयाबीन ले सकते हैं।

ब्रह्मचारी की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए

परिवार में उत्तम स्वास्थ्य हेतु सभी सदस्य निम्न नियमों का पालन करें। ध्यान रहे ये नियम स्वस्थ व्यक्तियों के लिए दिए जा रहे हैं जिससे उनका स्वास्थ्य अक्षुण्ण बना रहे। रोग की परिस्थिति में नियमों में यथासम्भव बदलाव किया जा सकता हैः-


    ► सुबह जल्दी उठो और ३- ४ मील (४- ६ किलोमीटर) रोज टहलो। संभव हो तो शाम को भी थोड़ा टहलो।


  ►  भोजन के साथ पानी कम से कम पीओ। दोपहर के भोजन के घंटे भर बाद पानी पियें ।। भोजन यदि कड़ा और रूखा हो तो २- ४ घूंट पानी अवश्य पियें। रात्रि जागरण से वात की वृद्धि होती है,जिससे शरीर रुक्ष होता है।बैठे बैठे थोड़ी झपकी लेना स्वास्थ के लिए अच्छा है।


 ►  दिन में 2 बार मुँह में जल भरकर, नैत्रों को शीतल जल से धोना नेत्र दृष्टि के लिए लाभकारी है।नहाने से पूर्व, सोने से पूर्व एवं भोजन के पश्चात् मूत्र त्याग अवश्य करना चाहिए। यह आदत आपको कमर दर्द, पथरी तथा मूत्र सम्बन्धी बीमारियों से बचाती है  भोजन के प्रारम्भ में मधुर-रस (मीठा), मध्य में अम्ल, लवण रस (खट्टा, नमकीन) तथा अन्त में कटु, तिक्त, कषाय (तीखा, चटपटा, कसेला) रस के पदार्थों का सेवन करना चाहिए।


 ►  स्वास्थ्य चाहने वाले व्यक्ति को मूत्र, मल, शुक्र, अपानवायु, वमन, छींक, डकार, जंभाई, प्यास, आँसू नींद और परिश्रमजन्य श्वास के वेगों को उत्पन्न होने के साथ ही शरीर से बाहर निकाल देना चाहिए। कुछ लोगों की यह धारणा है कि चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए हर दिन घंटों पसीना बहाना पड़ता है, लेकिन हाल ही में जर्मनी में हुए शोधों से पता चला है कि यह धारणा सही नहीं है। इस शोध के मुताबिक 10 मिनट का व्यायाम भी आपको तरोताजा बनाये रखने के लिए काफी है। हो सकता है कि 10 मिनट के व्यायाम से आपके शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम न हो, लेकिन 10 मिनट की एक्सरसाइज आपमें जोश भर देगी और आप सारा दिन खुद को तरोताजा महसूस करेंगी। इसका असर आपके काम पर भी पड़ेगा यानी 10 मिनट की एक्सरसाइज आपके काम करने की क्षमता को बढ़ायेगी।

स्वस्थ दिनचर्या कैसी होनी चाहिए

हर दिन 10 मिनट का व्यायाम बीमारियों से लडऩे की शक्ति को 40 फीसदी तक बढ़ाता है।


    ►  दफ्तर की सीढिय़ां चढऩा, उतरना तथा पार्किग स्थल से दफ्तर तक पैदल चलना भी तरोताजा रखने वाला व्यायाम है।


►  सुबह-सुबह 10 मिनट की जॉगिंग कई घंटों तक आपमें चुस्ती बरकरार रख सकती है। यह ध्यान रखें कि व्यायाम को मौजमस्ती में करें यानी उसे बोझ समझकर न करें।


►  अगर बाहर जाकर व्यायाम करना संभव न हो तो संगीत की धुन पर 10 मिनट डांस करिए।


►  प्रातः उठते ही खूब पानी पीओ। दोपहर भोजन के थोड़ी देर बाद छाछ और रात को सोने के पहले उष्ण दूध अमृत समान है।


►  बुखार, थकान, कमजोरी महसूस करने की स्थिति में व्यायाम से बचें।


►  ध्यान रखें, जहां व्यायाम करें वहां शांति हो, जगह साफ-सुथरी हो, प्राकृतिक हवा हो और पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी हो।


►  व्यायाम का समय बढ़ाना हो तो धीरे-धीरे बढ़ाएं, एकदम से समय बढ़ाने से थकान, कमजोरी की शिकार हो सकती हैं।


►  व्यायाम के समय बातचीत न करें, व्यायाम के समय चुप रहने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
 
►  तनावमुक्त होकर तथा मन व शरीर शांत रखकर व्यायाम करें।


►  इस हकीकत को स्वीकारें कि हमेशा युवा नहीं रह सकतीं। चाहे दिन रात व्यायाम करें। बढ़ती उम्र को गर्व से स्वीकार करें।


►  अच्छे स्वास्थ्य और लंबी जिंदगी के लिए योगाभ्यास तो जरूरी है ही पर इसके अतिरिक्त कुछ सामान्य नियमों और सावधानियों का पालन भी आवश्यक है। इन नियमों-सावधानियों व जानकारियों के पालन से दिनचर्या व्यवस्थित होने लगती है और हम लंबे समय तक युवा बने रह सकते हैं।


►  प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठने का नियम बनाएं। इसके लिए रात में जल्दी सोने की आदत डालें। सुबह उठने के बाद शौचादि से निवृत्त होकर ऊषापान करें। ऊषापान के लिए रात में पानी तांबे के बर्तन में भर कर रख दें और सुबह उसमें से लगभग दो गिलास पानी खाली पेट पीएं। सर्दी के मौसम में पानी थोड़ा गुनगुना कर लें।


►  सूर्योदय से पहले ही नित्यकर्म से निवृत्त होकर खुले वातावरण में जाकर योगाभ्यास करें।


►  अपनी दिनचर्या में शारीरिक श्रम को महत्व दें। कई रोग इसीलिए पैदा होते हैं, क्योंकि हम दिमाग से अधिक और शरीर से कम काम लेते हैं। आलस्य त्यागकर पैदल चलने, खेलने, सीढ़ी चढ़ने, व्यायाम करने, घर के कामों में हाथ बंटाने आदि शारीरिक श्रम वाली गतिविधियों में लगें।


►  दिन में कम से कम दो लीटर पानी अवश्य पीओ।


►  भूख लगने पर ही भोजन करें। जितनी भूख हो, उससे थोड़ा कम खाएं। अच्छी तरह चबा कर खाएं। दिन भर कुछ न कुछ खाते रहने का स्वभाव छोड़ दें। दूध, छाछ, सूप, जूस, पानी आदि तरल पदार्थों का अधिकाधिक सेवन करें।


►  प्रकृति के नियमों के अनुरूप चलें, क्योंकि \’कुदरत से कुश्ती\’ करके कोई निरोगी नहीं हो सकता।


►  प्रतिदिन योगाभ्यास का नियम बनाएं।
 
 

निकर्ष : मनुष्य की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए

भोजन पौष्टिक हो और सभी आवश्यक तत्वों से भरपूर हो। मिष्ठान, पकवान, चिकनाई व अधिक मसालों के इस्तेमाल से परहेज करें। सोने, जागने व भोजन का समय निश्चित करें और साफ-सफाई का हर हाल में ध्यान रखें। बढ़ती उम्र के साथ यदि यह भाव मन में घर कर गया कि मैं बूढ़ा हो रहा हूं, तो व्यक्ति अपने इसी मंतव्य के कारण जल्दी बूढ़ा होने लग जाता है।   शरीर का वजन न बढ़ने दें।

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